Haryana News:पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश में हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि परिवार पहचान पत्र (PPP) के कारण कोई भी नागरिक बुनियादी या आवश्यक सेवाओं से वंचित न रहे। हाईकोर्ट ने सरकार को तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने के लिए कहा है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह दस्तावेज़ संकट का कारण न बनकर नागरिकों के लिए सुविधाजनक और सहायक हो।
हाई कोर्ट ने दिया आदेश
इस आदेश के बाद सरकार से अपेक्षा है कि वह ऐसी व्यवस्था लागू करे, जो उन लोगों को राहत प्रदान करे, जिनके पास परिवार पहचान पत्र नहीं है या जिनके डेटा में कोई त्रुटि है। यह कदम नागरिकों की परेशानियों को कम करने और आवश्यक सेवाओं की सुगम उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है।
29 जनवरी तक का समय
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की ओर से दाखिल विस्तृत जवाब पर विचार करने के बाद यह आदेश जारी किया है। सरकार ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) अनिवार्य नहीं है, बल्कि यह एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस विषय पर 29 जनवरी तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। अदालत ने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया है कि पीपीपी के अभाव में कोई भी नागरिक आवश्यक सेवाओं से वंचित न हो। यह आदेश नागरिकों को राहत देने और सरकार को उनकी जिम्मेदारियों की याद दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
जस्टिस महावीर सिंधु का आदेश
जस्टिस महावीर सिंधु ने अपने विस्तृत आदेश में यह स्पष्ट किया कि परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) को कई बुनियादी और आवश्यक सेवाओं के लिए अनिवार्य माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि सेवाएं, जैसे पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बिजली, सफाई, पुलिस, और अग्निशमन जैसी आपातकालीन सुविधाएं, किसी व्यक्ति या समुदाय के जीवनयापन के लिए अत्यावश्यक हैं, और इन तक पहुंच पीपीपी के अभाव में बाधित नहीं होनी चाहिए।
अदालत ने यह भी जोर दिया कि ऐसी स्थिति में, जहां पीपीपी न हो, सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई नागरिक इन आवश्यक सेवाओं से वंचित न रह जाए। यह आदेश उन लोगों के लिए राहत का संकेत है, जिनके पास परिवार पहचान पत्र नहीं है या जिनके डेटा में त्रुटियां हैं।