High Court Decision : वर्तमान समय में प्रॉपर्टी विवाद का हिस्सा बहुत ही तेजी से फैलता जा रहा है। वहीं कहीं दो भाइयों में विवाद प्रॉपर्टी के मामले में विवाद बना रहता है तो कहीं पति-पत्नी तो कहीं भाई-बहन में प्रॉपर्टी के मामले में विवाद बना हुआ रहता है। वही पत्नी के नाम पति प्रॉपर्टी खरीदने हैं तो वह किसकी प्रॉपर्टी माना जाएगा। इसको लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ कर दिए हैं। आईए जानते हैं हाई कोर्ट का पूरा फैसला।
High Court Decision : पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने हैं तो वह किसकी प्रॉपर्टी मानी जाएगी, इसको लेकर हाई कोर्ट ने सुनाएं फैसला
बताने की इस मामले में हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुना हैं जिसमें हाई कोर्ट ने कहे हैं कि किसी इंसान की ओर से अपनी गृहिणी पत्नी के नाम पर खरीदे हुए प्रॉपर्टी को पारिवारिक प्रॉपर्टी माने जाएंगे। वहीं गृहिणी पत्नी के पास आय का कोई स्वतंत्र साधन नहीं है। जिस वजह से हाईकोर्ट ने ये फैसला दिए हैं।
High Court Decision : हिंदू परिवारों पत्तियों के लिए पतियों की ओर से प्रॉपर्टी खरीदना आम बात
बता दें कि हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देसवाल ने मामले में सुनवाई किए हैं। उन्होंने कहे हैं कि हिंदू परिवारों पत्तियों के लिए पतियों की ओर से प्रॉपर्टी खरीदना आम बात है। इसीलिए यह पूरे परिवार की संपत्ति माने जाते हैं। वही जब तक पत्नी के पास ये सबूत नहीं है कि उसने अपनी आय से ये संपत्ति खरीदे हैं।
High Court Decision : परिवार की होगी संपत्ति
बता दे कि हाईकोर्ट ने मृत्यु पिता की संपत्ति में सहमालिकाना हक के बेटे के दावे की याचिका पर सुनवाई किए। वही कोर्ट ने काहे की अदालत भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 144 के अनुसार ये मान सकते हैं कि हिंदू पति की ओर से अपनी गृहिणी पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी पारिवारिक प्रॉपर्टी होंगे। वही आमतौर पर पति पारिवारिक के हित में घर संभाल रही पत्नी के नाम पर पति खरीद लेते हैं। जबकि पत्नी के पास आए का कोई स्वतंत्र साधन नहीं है।
वही कोर्ट ने बोले कि जब तक ये साबित ना हो कि संबंधित प्रॉपर्टी पत्नी ने अपनी इनकम से खरीदे हैं तब तक प्रॉपर्टी को पति की इनकम से खरीदा समझ जाएगा। वही याचिका लगाने वाले सौरभ गुप्ता ने अपने पिता की खरीदी हुई संपत्ति में एक चौथाई भाग के सह स्वामित्व की मांग किए थे। वही याचिका ने दलिल दिए की उक्त प्रॉपर्टी उनके पिता ने खरीदी है तो वह सह स्वामित्व के हकदार होंगे।
प्रॉपर्टी ट्रांसफर के खिलाफ रोक लगाने की मांग
बता दे कि मामले में याचिका सौरभ गुप्ता की मां प्रतिवादी है। वही सौरभ गुप्ता ने प्रॉपर्टी के ट्रांसफर को किसी तीसरे पक्ष को करने के विरुद्ध रोक कि मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किए थे। जबकि याचिका की मां यानी प्रतिवादी ने लिखित में कहे थे कि उनके पति ने उपहार में उनको वह संपत्ति दिए हैं। ऐसे में उनके पास आय का कोई साधन नहीं थे। वहीं इस पर अंतरिम रोक की मांग को निचली अदालत ने रद्द कर दिए थे। वहीं अब सौरभ ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किए थे।
बता दें की याचिका की अपील को हाईकोर्ट ने स्वीकार किए वही हाई कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाए और कहे की एक हिंदू परिवार में पति की ओर से अपनी ग्रहणी पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी पति की खुद की इनकम से खरीदी प्रॉपर्टी होते हैं। वहीं इसमें तर्क थे कि क्योंकि आय का कोई स्वतंत्र स्रोत पत्नी के पास नहीं होते हैं। ऐसे में प्रथम दृष्टया यह प्रॉपर्टी परिवार की प्रॉपर्टी बन जाते है