Haryana News:यह एक महत्वपूर्ण और स्वागत योग्य फैसला है। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का यह निर्णय “समान कार्य के लिए समान वेतन” के सिद्धांत को मजबूती प्रदान करता है। नगर परिषद, जींद के कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों के बराबर वेतन देने का निर्देश न केवल उनके अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि कार्यस्थल पर समानता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
3 महीने में मिलेगी राशि
अदालत द्वारा तीन महीने के भीतर वेतन अंतर की राशि का भुगतान करने का आदेश इस बात को भी दर्शाता है कि न्यायपालिका कर्मचारियों के हितों को प्राथमिकता दे रही है। यह फैसला अन्य सरकारी और अर्ध-सरकारी संस्थानों के लिए भी एक मिसाल कायम कर सकता है, जहां समान काम के लिए वेतन असमानता का मुद्दा लंबे समय से बना हुआ है।
यह फैसला हरियाणा के कर्मचारियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रभाव डालने वाला है। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि समान कार्य के लिए असमान वेतन देना संविधान और न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
इस फैसले के मुख्य बिंदु
1. समान वेतन का आदेश:
कोर्ट ने नगर परिषद, जींद के कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वेतन देने का आदेश दिया है।
2. तीन महीने में भुगतान:
वेतन में अंतर की राशि तीन महीने के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया गया है।
3. पिछले संदर्भ का उपयोग:
अदालत ने पहले के राम चंदर बनाम हरियाणा राज्य के मामले का हवाला देते हुए यह भी स्पष्ट किया कि कर्मचारियों के वेतन संशोधन की प्रभावी तिथि 1 जनवरी 1994 होगी।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष:
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि नगर परिषद द्वारा नियुक्त होने के बावजूद, उन्हें राज्य सरकार के तहत प्रतिनियुक्ति पर समान कार्य करना पड़ रहा था।
राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान कार्य करने के बावजूद, उन्हें समान वेतन नहीं दिया गया, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 39(d) का उल्लंघन है।
फैसले का महत्व
यह निर्णय कर्मचारियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने और समानता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह मामला न केवल नगर परिषद के कर्मचारियों के लिए बल्कि अन्य संस्थानों में काम कर रहे समान परिस्थितियों वाले कर्मचारियों के लिए भी एक मिसाल बनेगा।