Property Acquisition : घर खरीदना या फिर जमीन खरीदना सबसे बड़ा निवेश होता है। इस पर लोग अपने जीवन भर के पूंजी को खर्च कर देते हैं। लेकिन क्या हो अगर कोई आपकी जमीन या संपत्ति पर जबरदस्ती कब्जा करले। ऐसा नहीं है कि इस स्थिति में कोई हल नहीं है लेकिन कई बार ऐसा हो जाता है या फिर इस प्रकार के हालात बन जाते हैं कि कानून भी आपकी मदद नहीं कर पाते हैं। ऐसे में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस स्थिति को बिना कोर्ट जाए सुलझाने का बढ़िया रास्ता बताया है। अगर आप भी जानना चाहते हैं तो आर्टिकल को पढ़ते रहें।
Property Acquisition : बिना कोर्ट जाए ऐसे छुड़वा सकते हैं संपत्ति पर से कब्जा।
परिवार के अभिभावक या फिर मुखिया हमेशा यह सपने देखते हैं कि उनका परिवार का एक अच्छा घर हो और उसे घर में पूरा परिवार खुशहाली से रहे। इसके लिए वह दिन रात मेहनत करता रहता है। अपने दम पर अपनी पूरी जमा पूंजी लगा देते हैं। दूसरा कारण यह भी होता है कि वह जमीन में इसलिए निवेश करते हैं क्योंकि प्रॉपर्टी से ज्यादा प्रॉफिट होता है।
अधिकतर लोग निवेश से ही प्रॉपर्टी में इसलिए करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि रहना की चोरी हो जाती है लेकिन जमीन की चोरी नहीं होती है और जमीन अच्छा प्रॉफिट भी देता है। लेकिन कई बार ऐसा होता है की जमीन या मकान पर अवैध कब्जा हो जाता है इससे लोग बहुत परेशान हो जाते हैं और उन्हें यह समझ नहीं आता है कि वह क्या कदम उठाएं।
प्रॉपर्टी पर जब कब्जा हो जाता है और विवाद जब कोर्ट में चला जाता है तो विवादित मामला लंबित हो जाता है। आज भी ऐसे मामले अदालत में लंबित पड़े हुए हैं जिन पर अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुआ है। लेकिन अगर आपकी जमीन या फिर घर पर किसी ने कब्जा कर लिया है तो अब आपको घबराने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है। क्योंकि अब आप बिना कोर्ट जी हुए और बिना कानून की सहायता से अपनी प्रॉपर्टी पर से अवैध कब्जा को छुड़ा सकते हैं।
अवैध कब्जा पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
हमारे देश में अवैध कब्जा के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक हम फैसला सुनाया गया है। प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे से संबंधित एक मामला महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है। इससे आपको यह पता चलेगा कि आपकी प्रॉपर्टी से कब्जाधारी को बिना आधारित की मदद के कैसे हटा सकते हैं।
इसी से संबंधित पुनाराम बनाम मोतीराम मामले में सुनवाई करते हुए सिर्फ अदालत में स्पष्ट किया हैं कि कोई भी लोग किसी अन्य की संपत्ति पर गैर कानूनी तरीके से कर्जा नहीं कर सकते हैं और अगर कोई किसी की प्रॉपर्टी पर कब्जा कर भी लेते हैं। तो पीड़ित पांच स्वयं बल प्रयोग करके उसे कब्जे को हटा सकते हैं। हालांकि यह आवश्यक कि आप उसे प्रॉपर्टी के वैध मालिक हो और इसकी टाइटल आपका नाम पर हो ऐसे में आपका उसे जमीन पर स्वामित्व होना बहुत ही आवश्यक है।
पुनाराम बनाम मोती राम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या इस मामले पर पूरा फैसला
आप सभी लोगों को बता दें कि पुनाराम बनाम मोती राम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ कर दिए हैं कि मान लीजिए कि अगर आपके पास संपत्ति का टाइटल है तो आप 12 वर्ष के बाद भी बलपूर्वक अपनी प्रॉपर्टी से जो लोग कब्जा किए हुए हैं। उनको आप हटवा सकेंगे ऐसे में इस बात के लिए आपको अदालत में कुछ मुकदमा दायर करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है लेकिन अगर प्रॉपर्टी का टाइटल आपका नाम पर है ही नहीं और कब्जा 12 वर्ष से ज्यादा के समय से हो रखे हैं तो आपको इसके लिए अदालत में केस दर्ज करना पड़ेगा।
बता दें कि इस तरह के मामलों के लिए स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963 बनाए गए हैं। वहीं प्रॉपर्टी से अवैध कब्जा हटाने के लिए स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 5 में प्रावधान किए गए हैं। हालांकि प्रॉपर्टी, में विवाद के मामले में पहले स्टे ताकि कब्जा करने वाले लोग उसे पर पार्टी पर कोई निर्माण न कर सके या उसे प्रॉपर्टी को ना बेच सके ये सबसे जरूरी और बहुत ही ध्यान देने की बात है।
स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 5 क्या है
अगर आप सभी लोगों को यह मालूम नहीं है कि स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 5 क्या है तो आप सभी लोगों को जानना बहुत ही जरूरी है कि स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 5 के अनुसार अगर आपके पास प्रॉपर्टी का टाइटल है। और किसी ने उसे पर अवैध रूप से कब्जा कर रखे हैं तो आप उसे खाली करने के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत अदालत में मुकदमा दायर कर सकेंगे।
अवैध जमीन पर कब्जे का मामला यह था
आज के इस लेख में हम जिस मामले के बारे में हम बात करने जा रहे हैं वह राजस्थान के बाड़मेर जिले के पुनाराम से जुड़े हुए हैं। जिसने सन 1966 में एक जागीदार से कई अलग-अलग जगह पर जमीन खरीदे थे। जब पूना राम ने जमीन पर मालिकाना हक जताए तब उसे पता चला कि उसे जमीन पर मोतीराम नाम का व्यक्ति कब्जा किए हुए हैं। हालांकि इस जमीन से संबंधित मोतीराम के पास कोई कानूनी डॉक्यूमेंट उपलब्ध नहीं थे। इसी पर पुणे राम ने कब्जा छुड़ाने के लिए कोर्ट में मुकदमा दर्ज किए।
बता दें कि उसके बाद ट्रायल कोर्ट ने पुनाराम के पक्ष में एक फैसला सुनाते हुए मोतीराम को जमीन खाली करने का आदेश जारी किए लेकिन मोतीराम ने इस फैसले के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट में अपील कर दिए जहां हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए मोतीराम के कब्जे को वैध साबित की है। इसके बाद पुनाराम ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया बड़ा निर्णय
आप सभी लोगों को बता दे कि ऊपर की लेख में बताए गए मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुनाराम के पक्ष में अपना फैसला सुनते हुए कहे थे कि जिस भी व्यक्ति के पास जमीन का ट्रायल उपलब्ध होगा। वह उसे जमीन का असली मालिक होंगे और वह बलपूर्वक कब्जा छुड़वा सकेंगे भले ही कब्जा 12 वर्ष से पुराना ही क्यों ना हो वही मोतीराम ने तर्क दिए थे कि उसका 12 वर्ष से अधिक समय से जमीन पर कब्जा है और लिमिटेशन एक्ट की धारा 64 के अनुसार ऐसे मामलों में कब्जा नहीं हटाए जा सकते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलित को खारिज करते हुए कहें कि यह कानून सिर्फ उन जमीनों पर लागू किया जाता है। जिनका कोई मालिक नहीं होते हैं जबकि अगर जमीन का मालिक मौजूद है और उसके पास ट्रायल है तो 12 वर्ष के बाद भी कब्जा हटाया जा सकते हैं।