Supreme Court Decision : सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सरकारी नौकरी में नियम बदलाव को लेकर अहम फैसला सुनाया गया है। आपको बता दे की नियम में अवैध बदलाव को लेकर यह फैसला सुनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ की तरफ से सरकारी नौकरी की भर्ती को लेकर महत्वपूर्ण फैसला दिया गया है। चीफ जस्टिस डिवाइ चंद्रचूड़ की अगुवाई में पांच जजों का पीठ ने निर्णय को सुनाया है। यह फैसला भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद उसके नियम में बदलाव को लेकर सुनाया गया है।
Supreme Court Decision Government Job
सुप्रीम कोर्ट के सरकारी नौकरी पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया है। आपको बता दे की डिवाइस चंद्रचूड़ की अगुवाई में पांच जजों का पीठ निर्णय को सुनाया है। सरकारी नौकरी में नियम में बदलाव अवैध होगा इस पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फैसला दिया गया है। कोर्ट की तरफ से कहा गया कि नियमों में बदलाव का प्रभाव केवल आगामी भारतीयों पर ही लागू किया जा सकता है, ऐसे में वर्तमान समय में जो भर्ती चल रही है या फिर भर्ती की प्रक्रिया हो रही है उसे पर कोई असर नहीं होना चाहिए।
राजस्थान हाई कोर्ट का है यह मामला
आपको बताने की यह मामला राजस्थान हाई कोर्ट से जुड़ा हुआ है। साल 2013 में अनुवादकों के पदों पर भारती के दौरान राज्य सरकार ने बीच में ही कुछ नियम में बदलाव कर दिया था। नियम बदलकर यह कहा गया था कि केवल वही उम्मीदवार नियुक्ति के लिए योग्य माने जाएंगे जो लिखित और मौखिक परीक्षा में 75% से अधिक अंक लाए है। यह निर्णय उन अभ्यर्थियों पर भी लागू किया जाएगा जिन्होंने पहले ही परीक्षा दे दी थी। जिसके कारण भर्ती की प्रक्रिया में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा निष्पक्ष होनी चाहिए भर्ती की प्रक्रिया।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फैसले में यह साफ-साफ कहा गया की भर्ती की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष होना चाहिए। इसके साथ ही उम्मीदवार का सम्मान मिले। संविधान पीठ, चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस हास्यकेश रॉय, जस्टिस पामीदीघनटम श्री नरसिम्हा, जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस मनोज कुमार मिश्रा शामिल थे। इन्होंने मन की भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों की योग्यता या अर्हता को बीच में बदलना सही नहीं है।
कोर्ट की तरफ से यह कहा गया कि सरकार किसी भी भर्ती प्रक्रिया में केवल उन्हीं नियमों का पालन करें जो की भर्ती प्रक्रिया चालू होने से पहले नियम को लागू किया गया है। उम्मीदवार के अधिकार और निष्पक्षता को सुरक्षित रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट का यहां फैसला एक मिसाल के रूप में देखा भी जा रहा है। अदालत की तरफ से यह कहा गया की भर्ती में प्रदर्शित होना चाहिए ताकि कोई भी पश्चाताप या अनियम्तता ना हो।