Supreme Court Decision : वर्तमान समय में अधिकतर लोग कमाई का सोर्स और बढ़ाने के लिए अपने घर को किराए पर लगा रहे हैं। ऐसे में अगर आप भी अपने कमाई का सोर्स को बढ़ाने के लिए अपने घर को किराए पर दे रहे हैं तो आपको बता दें कि देश में घर या प्रॉपर्टी को किराए पर देने के लिए कुछ कानून नियम और प्रक्रियाएं बनाए गए हैं। जिनकी बेहद कम लोगों को जानकारी होते हैं की हाल ही में मकान खाली करने में आनाकानी कर रहे हैं। एक किराएदार को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार करते हुए। कहे की जिसके घर शीशे के होते हैं वे दूसरों पर पत्थर नहीं मारते।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथी एक बार फिर ये साफ हो गया कि मकान मालिक की किसी मकान का असली मालिक होता है। वही किरदार चाहे जितने भी दिन किसी मकान में क्यों न रह लें। उसे ये नहीं भूलना चाहिए कि वह मात्र एक किरदार है न कि मकान मालिक।
Supreme Court Decision : किराएदार के वकील दुष्यंत पाराशर ने पीठ से कहा कि उन्हें बकाया किराए की रकम जमा करने के लिए दिए जाएं वक्त
जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यिय पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए किराएदार दिनेश को किसी भी तरह के राहत देने से इनकार कर दिए हैं और आदेश दिए कि उन्हें परिसर खाली करना ही पड़ेगा। वहीं इसके साथ ही कोर्ट ने किराएदार दिनेश को जल्द से जल्द बकाया किराया रकम चमक करने के लिए वक्त दिए जाएं।
वही इस पर कोर्ट ने किराएदार को मोहलत देने से साफ इनकार कर दिए और कोर्ट ने कहीं की जिस तरह से आपने इस मामले में मकान मालिक को परेशान किए हैं। उसके बाद कोर्ट किसी भी तरह की राहत नहीं दे सकते हैं। वही आपको परिसर भी खाली करना होगा और किराए का भुगतान भी तुरंत करना होगा।
Supreme Court Decision : आखिरकार दुकानदार मलिक ने कोर्ट का दरवाजा क्यों खटखटाया जानिए नीचे की लेख में
बताने की किराएदार ने करीब 3 वर्ष से मकान मालिक को किराया की रकम नहीं दिए थे और नहीं वह दुकान खाली करने के पक्ष में थे। ऐसे में आखिरकार दुकान मालिक ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया वही निचली अदालत ने किराएदार को डाक केवल बकाया किराया चुकाने बल्कि 2 महीने में दुकान खाली करने के लिए कहे थे।
इसके साथी वाद हा दाखिल होने से लेकर परिसर खाली करने तक 35000 प्रति महीने किराया का भुगतान करने के लिए भी कहे थे। वहीं इसके बाद भी किरदार ने कोर्ट का आदेश नहीं माने।
पिछले साल जनवरी में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने किराएदार को रुपया जमा करने के लिए दिए थे 4 महीने टाइम
बता देंगे पिछले वर्ष जनवरी में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने किराएदार को करीब ₹9 लाख रुपए जमा करने के लिए 4 महीने का समय दिए थे लेकिन उसे आदेश का भी किराएदार ने पालन नहीं की है। वहीं इसके बाद किराएदार सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जहां से भी उसकी याचिका खारिज करते हुए दुकान तुरंत खाली करने के आदेश जारी किए गए।