Property Rights of Wife : वर्तमान समय में आए दिन पत्नी को कोर्ट में अपने अधिकारों के लिए लड़ता हुआ देखा जाता है। वहीं अधिकतर व्यक्ति इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि पति की संपत्ति में पत्नी का क्या अधिकार होता है। बता दे की हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी के अधिकारों को लेकर एक अहम फैसला सुने है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की वजह से देशभर की करोड़ों महिलाओं को उनके अधिकार मिले हैं। ऐसे में आई खबर में जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के इस बड़े फैसले के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से।
Property Rights of Wife : लाखों हिंदू महिलाओं के हित में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस मामले में एक फैसला सुना हैं। वही इस मामले को एक बड़े बेंच के पास भेजने का फैसला लिए गए हैं ताकि इस मुद्दे का सावधान हमेशा के लिए किया जा सके। वही कोर्ट ने कहे है कि यह मुद्दा हर हिंदू महिला उसके परिवार और देशभर की कई कोर्ट में लंबित मामलों के अधिकारों से जुड़े हैं वही यह सवाल केवल कानूनी बारीकियों नहीं है। बल्कि लाखों हिंदू महिलाओं पर इस फैसले का गहरा प्रभाव देखने को मिलेगा।
Property Rights of Wife : जानिए आप सभी क्या है पूरा मामला
जानकारी के लिए आप सभी लोगों को बता दें कि ये मामला कोर्ट में आज से लगभग छह दशक पुराने हैं। वही कोर्ट में ये मामला 1965 में कंवर भान नामक व्यक्ति की वसीयत से जुड़े हैं। जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी को एक जमीन के टुकड़े पर जीवन भर अधिकार दे दिए थे लेकिन इसको लेकर उन्होंने एक शर्त रखे थे।
ऐसे में उन्होंने बतलाए की पत्नी की मृत्यु हो जाने के बाद संपत्ति उनके उत्तराधिकारियों को वापस दे दिए जाएंगे। वहीं कुछ सालों बाद पत्नी ने उसे जमीन को बेच दिए। ऐसे में उसने खुद को उस संपत्ति का पूरा मालिक बना दिए हैं। वहीं इसके बाद बेटे और पोते ने इस बिक्री को चुनौती दिए और मामला अदालतों में पहुंचा दिए हैं। मामले में हर स्तर पर विरोधाभासी फैसला आए।
निचली अदालत में किए अपील
बता दें कि निचली अदालत और अपीलीय अदालत ने 1977 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में उन्होंने,,, बनाम शेष रेड्डी का हवाला देते हुए पत्नी के पक्ष में ही फैसले को सुनाएं। वही इस फैसले में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 14 (1) का व्यापक रूप से अर्थ लगाए गए थे।
वहीं इसी वजह से हिंदू महिलाओं को संपत्ति पर पूर्ण स्वामित्व के अधिकार दिए जाते थे। हालांकि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इससे सहमति जताते हुए 1972 की सुप्रीम कोर्ट के फैसले तुलसम्मा बनाम अमरू का हवाला दिए। जिसमें वसीयत में रखे गए शर्तों को संपत्ति के अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने वाले बताए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए बड़ा फैसला
आपको बता दें कि इस मामले को चुनौती देते हुए विवाद अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। अब यहां पर जस्टिस ने फैसला देते हुए बतलाएं की धारा 14 के कानूनी मसौदे को वकीलों के लिए स्वर्ग और वीदीयों के लिए अंतहीन उलझन को बतलाए थे। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर स्पष्टता देते हुए बतलाएं की इस विषय पर कानूनी स्थिति को स्पष्ट करना काफी अधिक जरूरी है।
वहीं अब एक बड़ी बेंच को यह फैसला लेना होगा कि क्या वसीयत में दिए गए शर्तें हिंदू महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को धारा 14 (1) के तहत सीमित कर सकते हैं या नहीं।