MP Teacher News : मध्य प्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने पदोन्नति की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है। कर्मचारियों का कहना है कि जिस तरह विधि विभाग के 129 अधिकारी-कर्मचारियों को पदोन्नत किया गया है, उसी तरह हमें भी पदोन्नत किया जाए। आपको बता दें कि पिछले 9 सालों से प्रदेश में पदोन्नति नहीं की जा रही है।
MP Teacher News : सभी कर्मचारी संगठन चाहते हैं पदोन्नति
पदोन्नति शुरू करने के मामले में सभी संगठन एकजुट हैं। मध्य प्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र शर्मा, व्याख्याता संघ के मुकेश शर्मा, अजाक्स के भोपाल संभाग के महामंत्री अशोक बेन, लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष संजय दुबे, सुरेश बाथम, सतीश सोमकुवर, अशोक साकेत, जयशंकर गोहड़िया, राकेश शर्मा, शैलेश शुक्ला और राज्य कर्मचारी संघ से शिवाजी दुलारे सहित अन्य कर्मचारी प्रतिनिधियों ने मांग की है।
जब विधि विभाग में पदोन्नति हो सकती है तो यहां क्यों नहीं
इन कर्मचारियों का कहना है कि जब सरकार विधि विभाग के 129 कर्मचारियों को हाईकोर्ट के आदेश पर पदोन्नत कर सकती है तो उसी आधार पर अन्य कर्मचारियों को पदोन्नत क्यों नहीं किया जा सकता। वैसे भी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति पर रोक नहीं लगाई है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को पारित आदेश में लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 के उस प्रावधान को खत्म कर दिया है, जिसके तहत आरक्षित वर्ग को पदोन्नति में आरक्षण दिया जा रहा था।
मध्य प्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारियों द्वारा मुख्यमंत्री को पदोन्नति की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपे जाने का यह मामला प्रदेश में कर्मचारियों के अधिकारों और न्यायपूर्ण सुविधाओं के लिए एक अहम मुद्दा बन गया है। इन कर्मचारियों का तर्क है कि जब विधि विभाग के कर्मचारियों को पदोन्नति मिल सकती है, तो उन्हें भी उसी तरह की सुविधा क्यों नहीं दी जा सकती है। इस मुद्दे पर कर्मचारियों का यह भी कहना है कि पिछले 9 वर्षों से पदोन्नति नहीं होने के कारण उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है, जो उन्हें एक बड़ा चिंता का विषय लगता है।
उनका यह भी कहना है कि यदि उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति पर रोक नहीं लगाई है, तो कर्मचारियों को पदोन्नति देने में कोई कानूनी अड़चन नहीं होनी चाहिए। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2016 में एक आदेश दिया था जिसमें आरक्षित वर्ग को पदोन्नति में आरक्षण देने वाले प्रावधान को समाप्त कर दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद पदोन्नति का कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।