MP News: केंद्र सरकार ने बजट में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की ऋण सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की घोषणा की है। इससे मध्य प्रदेश के 72 लाख से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा।
इसी तरह पीएम स्व-निधि योजना के तहत स्ट्रीट फूड का कारोबार शुरू करने वालों के लिए बैंक ऋण की अधिकतम सीमा अब 30 हजार रुपये कर दी गई है। अभी तक 10 हजार रुपये तक का ऋण मिलता था।
इससे प्रदेश में करीब 12 लाख लोगों को लाभ मिलेगा। खास बात यह है कि इस बार केंद्र सरकार का बजट तैयार करने में मप्र के दो आईएएस अफसरों ने भी अहम भूमिका निभाई है। बजट में केंद्रीय योजनाओं में क्या बदलाव किए गए हैं
इसका मध्य प्रदेश को कितना लाभ मिलेगा केसीसी ऋण पर ब्याज दरें कम रहेंगी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- संशोधित ब्याज अनुदान योजना के तहत किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के जरिए लिए जाने वाले ऋण की सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जाएगी। मप्र में इस योजना के तहत सक्रिय क्रेडिट कार्ड खातों की संख्या 65 लाख 83 हजार है और करीब साढ़े सात लाख मछली पालक हैं।
केसीसी कार्ड की अवधि 5 साल होती है। किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत 1998 में हुई थी। इसके तहत खेती और उससे जुड़े कामों में लगे किसानों को 9 फीसदी ब्याज दर पर अल्पकालीन फसल ऋण दिया जाता है। सरकार किसानों को ब्याज पर 2 फीसदी की छूट देती है।
समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को प्रोत्साहन के तौर पर ब्याज में 3 फीसदी और छूट दी जाती है। इस तरह किसानों को सालाना 4 फीसदी की दर पर ऋण मिलता है।
विशेष क्रेडिट कार्ड योजना से 49 हजार छोटे उद्योगों को फायदा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि छोटे उद्योगों को विशेष क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएंगे। केंद्र सरकार पहले साल में 10 लाख कार्ड जारी करेगी। इससे मध्य प्रदेश के 49 हजार छोटे उद्योगों को फायदा होगा।
केंद्र सरकार की हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (Micro, Small and Medium-MSME Industry) द्वारा शुरू किए गए नए उद्यम पंजीकरण के आधार पर केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से पंजीकृत उद्योगों के आधार पर एक सूची तैयार की है।
इस सूची में सबसे ज्यादा उद्योगों की सूची में मध्य प्रदेश सातवें स्थान पर है। यहां कुल 48 हजार 990 उद्योग पंजीकृत हैं और यहां 3 लाख 89 हजार लोग काम कर रहे हैं। इनमें से 76 फीसदी उद्योग पुरुषों और 18 फीसदी महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं।