Land Possession : सरकारी जमीन पर कब्ज़ा करने वालों को मिलेगा मालिकाना हक़, सरकार ने बनाया नया प्लान।

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Land Possession : आमतौर पर देखा जाता है कि गांव में रहने वाले लोग घर बनाकर रहने लगते हैं। जब समय बीत जाता है तो उनका कब्जा किया हुआ जमीन समझ लिया जाता है। ऐसे में अगर लंबे समय से पंचायती जमीन पर कब्जा या फिर मकान बनाकर रहने वाले लोगों को सरकार की तरफ से मालिकाना हक देने की बात कही गई है। इसके लिए एक निश्चित समय अभी भी तय किए गए हैं। पंचायती जमीन पर मालिकाना हक प्राप्त करने के लिए कब्जाधारियों के पास प्रॉपर्टी को बेचने का अधिकार भी होंगे। सभी खबर नीचे विस्तार से जानेंगे।

Land Possession : सरकारी जमीन पर है कब्जा, तो मिलेगा मालिकाना हक

हाल ही में सरकार की तरफ से एक हम फैसला सुनाया गया है। सरकार की तरफ से जारी किए गए इस फैसले के बाद देश भर के लोगों को काफी ज्यादा लाभ हो रहा है। सरकार में लोगों को पंचायती जमीन पर मालिकाना हक देने के लिए फैसला सुना दिया है।

बता दे की जितने भी लोग पंचायती जमीन पर कब्जा (Panchayat Land Possession) किया हुए है। तो उनको काफी ज्यादा राहत मिलेगा और वह प्रॉपर्टी का मालिकाना हक प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा उनके पास संपत्ति बेचने का अधिकार भी मिल जाएगा।

यह राज्य सरकार ने लिया सरकारी जमीन को लेकर बड़ा फैसला

हाल ही में मुख्यमंत्री नायक सिंह सैलानी सरकार की तरफ से अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक हुई थी। इसके बाद बैठक के दौरान हरियाणा विलेज बड़ा लैंड नियति करण एक्ट 1961 में संशोधन करने की मंजूरी दी गई है।

बता दे की इसलिए हम के अनुसार अब पंचायती जमीन पर जो भी लोग रह रहे हैं वह 500 वर्ग फिट की गज की जमीन पर बने मकान का मलकाना हक प्राप्ति कर सकते हैं। मलकाना हक मिलने के बाद लोगों को यह संपत्ति किसी भी दम पर बेचने और किसी को भी बेचने का अधिकार प्राप्त हो जाएगा।

कौन से लोगों को मिलेगा जमीन पर मालिकाना हक

मुख्यमंत्री की तरफ से बताया गया कि जो लोग 20 साल से पंचायती जमीन पर कब्जा बनाए हुए हैं, अब वह उन जमीनों के कलेक्टर रेट का भुगतान करके जमीन और मकान पर मालिकाना हक को प्राप्त कर सकते हैं। 500 वर्ग गज तक जमीन पर बने मकानों में यह सुविधा उपलब्ध है। ऐसे में भूमि को बाद में किसी भी रेट पर बेचा जा सकता है।

राज्य में यहां पर है सबसे ज्यादा जमीन पर कब्जा

बता दे कि कई तो गांव के गांव है, जहां पर लोग पंचायती जमीन पर कब्जा करके अपने मकान को बनाए हुए हैं। यमुना और मारकंडा नदियों के किनारे वाले गांव को इसकी वजह से सबसे ज्यादा लाभ हो रहा है। क्योंकि बाढ़ के कारण वह पंचायती जमीन पर घर बना कर रह रहे हैं।

जमीन का मालिकाना हक प्राप्त करने के लिए देना होगा इतना दाम

बता दे की यह सरकार के ऊपर पूरी तरह से निर्भर है कि 2004 के कलेक्टर रेट के हिसाब से वह जमीन के रेट को निर्धारित करती है या नहीं। पहले अनुमोदन का अधिकार राज्य सरकार के पास ही था, लेकिन अब डायरेक्ट पंचायत के पास इसका अधिकार है। 1 साल के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा करने का निर्णय लिया जाएगा।

धारकों को मिला है इतना समय

नायक सिंह सैनी सरकार जी की तरफ से बताया गया कि सभी कब्जाधारको 1 साल का वक्त दिया गया है। 1 साल के अंदर ही यह सभी लोग को मकान की फीस का भुगतान करना होगा और मकान को अपने नाम पर ही करवाना होगा। पहले इस तरह के मामले मंत्रिमंडल की बैठक में आते थे और उन पर अंतिम निर्णय लिया जाता था।

नियमों को बदलाव कर दिया गया है निदेशक पंचायत विभाग को अधिकृत कर दिया गया है, क्योंकि आप भारी मात्रा में कैसे आ रहे हैं जो उन्हें बारी बारी से मंत्रिमंडल की बैठक में नहीं लिया जा सकता है।

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