High Court का बड़ा आदेश, पुलिस के नेगेटिव रिपोर्ट के बावजूद भी बनेगा पासपोर्ट, जान लीजिए पूरी खबर।

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High Court’s Decision On Making Passport : पासपोर्ट बनवाने के लिए लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी निकाल कर आया है। राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) की तरफ से कहा गया है कि अगर पुलिस जांच की रिपोर्ट में नकारात्मक रिपोर्ट भी आ जाती है तब भी पासपोर्ट बनाने से नहीं रोका जा सकता है।

हाल ही में हाई कोर्ट के तरफ से फैसले की सुनवाई में पुलिस सत्यापन की रिपोर्ट नेगेटिव होने अपने आप में किसी नागरिक को पासपोर्ट पाने के कानूनी अधिकार से वंचित नहीं करता है। जस्टिस अनूप कुमार ठंड की पीठ के तरफ से इस बात पर जोर दिया गया है कि पासपोर्ट का प्राधिकरण पुलिस की रिपोर्ट से बंधी हुई नहीं है।

High Court : पुलिस के नेगेटिव रिपोर्ट के बावजूद भी बनेगा पासपोर्ट।

सावित्री शर्मा बनाम भारत सरकार के मामले में सावित्री शर्मा पुलिस सत्यापन रिपोर्ट किसी नागरिक को पासपोर्ट बनाने या फिर अपने से कानूनी अधिकार वंचित नहीं कर सकती है। यह पासपोर्ट प्राधिकरण को तय करना होगा कि सत्यापन रिपोर्ट में आरोपित व्यक्ति के तथ्यों पूर्व वृत्त को ध्यान में रखते हुए उसे पासपोर्ट जारी किया जाना चाहिए या फिर नहीं।

अदालत की तरफ से पासपोर्ट विभाग को छोड़ दिया गया है कि यदि पुलिस सत्यापन में कुछ गड़बड़ी मिलता है तो वह विधि अनुसार कार्रवाई के लिए स्वतंत्र रहे। इसके साथ ही हाई कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार और पासपोर्ट अधिकारी को निर्देश दिया गया है कि वह याचिका करता के पासपोर्ट नवीनीकरण का प्रार्थना पत्र 8 सप्ताह में निष्पादित करें हाई कोर्ट की तरफ से कहा गया कि किसी भी भारतीय नागरिक को उसके पासपोर्ट प्राप्त करने या फिर नवीनीकरण करने के कानूनी अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। हाई कोर्ट की तरफ से साफ-साफ कहा गया कि पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज जारी करने का निर्णय केवल पासपोर्ट प्राधिकरण की ओर से ही लिया जाना चाहिए।

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पासपोर्ट बनाने को सवाल को लेकर अदालत ने किया स्पष्ट

High Court  : अदालत से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि पासपोर्ट अधिनियम 1967 के प्रावधान पासपोर्ट प्राधिकरण को पासपोर्ट जारी करने से पहले जांच की अनुमति देता है। इसीलिए वह यात्रा दस्तावेज चाहने वाले व्यक्ति के पिछला इतिहास के संबंध में पुलिस सत्यापन रिपोर्ट मांग सकता है। पासपोर्ट प्राधिकरण द्वारा ऐसी जांच का उद्देश्य तय करने में सक्षम बनाना है कि प्रत्येक विशेष मामले की परिस्थितियों में पासपोर्ट जारी किया जाना चाहिए या फिर अस्वीकार किया जाना चाहिए।

हालांकि न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अंत में निर्णय पासपोर्ट प्राधिकरण को ही लेना होगा जिसमें जांच रिपोर्ट को ध्यान में रखने का विकल्प भी शामिल है।

मामले में याचिका करता का पासपोर्ट में 2022 तक वैध था। ऐसे में उसने पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए विभाग में आवेदन किया था। लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन में नेगेटिव रिपोर्ट आने पर उसका आवेदन स्वीकार कर दिया गया था। याचिका करता ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दिया पासपोर्ट नवीनीकरण का आगरा किया था। पुलिस ने आवेदक की राष्ट्रीयता पर संदेह जगाया था। याचिका करता ने बताया कि उसके दादा नेपाल में रहते थे लेकिन वह जन्म से ही भारतीय है। उसके बच्चे भी हैं और वह शादी भी भारत में किए हैं।

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