Haryana News: हरियाणा सरकार द्वारा तृतीय और चतुर्थ श्रेणी पदों की भर्तियों में सामाजिक-आर्थिक आधार पर मिलने वाले अतिरिक्त पांच अंकों को खत्म करने का निर्णय एक बड़ा बदलाव है। यह फैसला हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा इस प्रावधान पर रोक लगाने के बाद लिया गया है।
नहीं मिलेंगे सामाजिक आर्थिक के पांच नंबर
पहले, गरीब और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े युवाओं को सरकारी भर्तियों में यह लाभ मिलता था, जिससे उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में एक अतिरिक्त सहूलियत मिलती थी। अब इस प्रावधान को हटाने से प्रतियोगिता का स्तर समान होगा, लेकिन गरीब वर्ग के युवाओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
सरकार के इस फैसले को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ सकती हैं। कुछ लोग इसे सही ठहरा सकते हैं, जबकि अन्य इसे गरीब और पिछड़े वर्ग के हितों के खिलाफ मान सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप राज्य में रोजगार नीति और आरक्षण व्यवस्था पर व्यापक चर्चा होने की संभावना है।
कैबिनेट मीटिंग ले लिया गया फैसला
हरियाणा में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की भर्तियों में गरीब युवाओं को दिए जाने वाले अतिरिक्त अंकों को खत्म किए जाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नायब सैनी ने विपक्षी दलों पर तीखा हमला किया है। कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि “भर्ती रोको गैंग” नहीं चाहता था कि गरीब परिवारों के युवाओं को सरकारी नौकरियों में यह लाभ मिले।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों ने इस व्यवस्था को चुनौती देते हुए मामला हाई कोर्ट तक पहुंचाया, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक-आर्थिक आधार पर मिलने वाले अतिरिक्त अंकों पर रोक लग गई। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार गरीब और पिछड़े वर्गों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हुए यह बदलाव करना पड़ा है।
यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। सरकार और विपक्ष के बीच इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस की संभावना है, क्योंकि गरीब युवाओं से जुड़े इस निर्णय का व्यापक प्रभाव हो सकता है।