Haryana News: हरियाणा कौशल रोजगार निगम के माध्यम से नियुक्त 800 से अधिक बस कंडक्टरों की नौकरी पर संकट गहराता जा रहा है। इन कंडक्टरों के अनुभव प्रमाण पत्र संदेह के घेरे में आ गए हैं। परिवहन मंत्री अनिल विज के निर्देश पर राज्य परिवहन अधिकारियों ने सभी रोडवेज डिपो के महाप्रबंधकों को इन अनुभव प्रमाण पत्रों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
नियुक्ति होगी रद्द
यह सत्यापन प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है कि सभी प्रमाण पत्र प्रामाणिक और वैध हैं। यदि किसी भी कंडक्टर के दस्तावेज फर्जी या असत्य पाए जाते हैं, तो उनकी नियुक्ति रद्द की जा सकती है। यह मामला न केवल इन कंडक्टरों की नौकरी को प्रभावित कर सकता है, बल्कि भविष्य में नियुक्तियों की प्रक्रिया पर भी असर डाल सकता है।
जानकारी के अनुसार, यह कार्रवाई कुछ उम्मीदवारों द्वारा नौकरी पाने के लिए उपयोग किए गए “फर्जी” अनुभव प्रमाण पत्रों की शिकायतों के बाद शुरू की गई है। मुख्यालय के निर्देशों पर कई रोडवेज डिपो के महाप्रबंधकों (जीएम) ने तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रमाण पत्रों की जांच के लिए समितियां गठित की हैं।
परिवहन समिति करेगी जांच
इन समितियों का काम सभी संदिग्ध प्रमाण पत्रों की गहराई से जांच करना और उनकी प्रामाणिकता को सत्यापित करना है। यह कदम राज्य परिवहन विभाग में पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। यदि जांच में किसी भी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है, तो संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
सूत्रों के अनुसार, इन उम्मीदवारों को भर्ती प्रक्रिया में प्राथमिकता इसलिए दी गई क्योंकि उन्होंने 2018 में रोडवेज कर्मचारियों की 18 दिनों की हड़ताल के दौरान स्थिति को कुशलतापूर्वक संभालने में राज्य सरकार की मदद की थी। हड़ताल के दौरान इन उम्मीदवारों ने दैनिक आधार पर कंडक्टर के रूप में सेवाएं दीं और जनता को परिवहन सेवाएं उपलब्ध कराईं।
इसके लिए न केवल उन्हें भुगतान किया गया, बल्कि राज्य परिवहन विभाग द्वारा उन्हें एक अनुभव प्रमाण पत्र भी जारी किया गया। यही प्रमाण पत्र उनकी वर्तमान भर्ती प्रक्रिया में उपयोग किया गया, लेकिन अब इन प्रमाण पत्रों की प्रामाणिकता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।