Haryana News: हरियाणा के सरकारी स्कूलों की ऐसी स्थिति शिक्षा प्रणाली में गहराई से सुधार की आवश्यकता को उजागर करती है। जिन स्कूलों में बच्चे नहीं हैं, वहां शिक्षकों की नियुक्ति और उनकी उपस्थिति गंभीर सवाल खड़े करती है।
स्कूलों में कमी के मुख्य कारण
1. गिरता नामांकन: निजी स्कूलों की बढ़ती लोकप्रियता और सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी के कारण माता-पिता अपने बच्चों को वहां दाखिला दिलाने से बचते हैं।
2. संसाधनों की कमी: कई सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं, जैसे शौचालय, पीने के पानी, बिजली और शिक्षण उपकरणों का अभाव है, जिससे बच्चे और माता-पिता वहां जाने से हिचकिचाते हैं।
3. प्रशासनिक खामियां: स्कूलों में संसाधनों और शिक्षकों का असमान वितरण, गलत नीति-निर्धारण और मॉनिटरिंग की कमी इस समस्या को और बढ़ाती है।
4. सामाजिक जागरूकता की कमी: कई ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के प्रति जागरूकता और प्रोत्साहन का अभाव भी बच्चों को स्कूल से दूर रखता है।
समाधान के संभावित उपाय
- सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण और संसाधनों में सुधार।
- नामांकन बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान और प्रोत्साहन योजनाओं का संचालन।
- स्कूलों के निरीक्षण और मॉनिटरिंग के लिए एक सख्त प्रणाली लागू करना।
- ऐसे स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज करना, जहां छात्रों की संख्या कम है।
- सरकारी और निजी स्कूलों के बीच एक संतुलन स्थापित करना।
यह मुद्दा केवल शिक्षा विभाग का नहीं बल्कि पूरे समाज का है, जहां सरकार, शिक्षकों और अभिभावकों को मिलकर समाधान तलाशना होगा। हरियाणा में सरकारी स्कूलों का 70 लगातार गिरता जा रहा है इसकी बहुत से कारण है किसी स्कूल में बच्चों की कमी के कारण स्कूल बंद होने की कगार पर है और कहीं पर शिक्षकों की अभाव की कमी के कारण। एक रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा के 599 सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। हरियाणा में 22918 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय बनाए गए हैं।