Haryana News:पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में मातृत्व अवकाश के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस निर्णय में अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी भी महिला कर्मचारी की सेवा को उसके मातृत्व अवकाश की अवधि के दौरान समाप्त नहीं किया जा सकता। यह फैसला उन महिलाओं के लिए एक बड़ी राहत है जो नौकरी में रहते हुए मातृत्व अवकाश लेती हैं।
महिला कर्मचारियों की सुरक्षा
इस मामले की सुनवाई जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी की अध्यक्षता में हुई, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि कोई महिला कर्मचारी मातृत्व अवकाश पर है, तो उस अवधि के दौरान उसे नौकरी से नहीं निकाला जा सकता। हालांकि, यदि अवकाश समाप्त होने के बाद सेवा समाप्त की जाती है और यह प्रक्रिया कानून के अनुसार की जाती है, तो इसे वैध माना जा सकता है। यह फैसला महिला कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हाई कोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट इस मामले में उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जो अस्थायी कर्मचारियों की सेवाओं के नियमितीकरण से जुड़ी थीं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी अस्थायी कर्मचारी को किसी अन्य अस्थायी कर्मचारी के स्थान पर नियुक्त नहीं किया जा सकता। इसका अर्थ यह है कि केवल नियमित कर्मचारियों को ही अस्थायी कर्मचारियों के स्थान पर नियुक्त किया जाना चाहिए। यह निर्णय सरकारी और निजी संस्थानों में कार्यरत अस्थायी कर्मचारियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण राहत लेकर आया है।
महिला सशक्तिकरण
हाईकोर्ट के इस फैसले से यह संदेश जाता है कि मातृत्व अवकाश केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि महिला कर्मचारियों का कानूनी अधिकार है। इस फैसले से महिलाओं को अपने करियर और मातृत्व के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी। यह निर्णय न केवल महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है, बल्कि संगठनों को भी यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य करता है कि वे महिला कर्मचारियों के कानूनी अधिकारों का सम्मान करें।