Cheque Bounce : वर्तमान समय में भले ही यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ गया है। लेकिन फिर भी तमाम जगहों पर चेक का उपयोग खत्म नहीं हुआ है लेकिन कई बार कुछ वजहों से चेक बाउंस हो जाता है। बता दें कि चेक बॉक्स होने का मतलब यह है कि उसे चेक से जो पैसा मिला था। वो नहीं मिल सका ऐसे में बैंक पेनल्टी तो वसूलते ही हैं लेकिन कई बार तो ऐसा मामला कोर्ट तक भी पहुंच जाता है। बता दे की हाल ही में मंगलुरु में सामने निकल कर आया।
जिसमें कोर्ट ने दो लोगों पर भारी भरकम जुर्माना लगाया। वही जुर्माना न देने पर उन्हें जेल की सजा भुगतने होंगे। ऐसे में लिए जानिए क्या है। पूरा मामला और कब आता है ऐसी नौबत।
Cheque Bounce : ये हैं पहला मामला
बता दें कि पहले मामले में मंगलुरु की स्थानीय अदालत ने ब्रह्मावर के वी -5 टेक इंजीनियरिंग वर्क्स आपका मालिक और मंगलुरु के निवासी नवीन आचार्य पर लाख 303000 रुपए का जुर्माना लगाए हैं। वही नवीन ने यहां प्राइम स्पोर्ट्स कंपनी से खेल उपकरण खरीदने के बाद चेक जारी किए थे।
लेकिन यह चेक बाउंस हो गए। वही कोर्ट ने कहा कि जुर्माना न भरने पर दोषी को 3 महीने की सजा भुगतने पड़ेंगे।
Cheque Bounce : ये हैं दूसरा मामला
बता दें कि दूसरे मामलों में अदालत ने निजामुद्दीन नामक एक व्यक्ति पर चेक बाउंस के मामले में 1,02,000 रुपए का जुर्माना लगाए हैं। वही इस मामलों में चर्माडी गांव के पवन कुमार ने चेक बाउंस की शिकायत दर्ज कराए थे। वहीं कोर्ट ने कहे की जुर्माना न भरने पर उसे 6 महीने की कैद भुगतने होंगे।
चेक बाउंस होने की हो सकता है कई वजह, जानिए नीचे की लेख में
बता दें कि चेक बाउंस होने की कई वजह हो सकते हैं। वहीं इसमें अकाउंट में बैलेंस ना होना या कम होना, सिग्नेचर मैच ना होना, शब्द लिखने में गलती, अकाउंट नंबर में गलती, ओवरराइटिंग, चेक की समस्या सीमा समाप्त होना, चेक जारी करने वाले का अकाउंट बंद होना, जाली चेक का संदेह, चेक पर कंपनी की मुहर न होना आदि।
चेक बाउंस पर बैंक वसूलते हैं जुर्माना
बता दे की चेक बाउंस होने पर बैंक जुर्माना वसूलते हैं वही जुर्माना उसे व्यक्ति को देना पड़ता है। जिसने चेक को जारी किए हैं। वही ये जुर्माना वजहों के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं। वहीं इसके लिए हर बैंक ने अलग-अलग रकम भी तय किए हुए हैं।
चेक बाउंस को माना जाता है अपराध
बता दें देश में चेक बाउंस होने को एक अपराध माना जाता है। Negotiable Instrument Act 1881 की धारा 138 के मुताबिक चेक का बाउंस होना एक दंडनीय अपराध है और इसके अलावा 2 साल की सजा और जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है।
हालांकि ये इस स्थिति में होता है। जब चेक देने वाले के अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस न हो और बैंक चेक को डिसऑनर कर दे।
कब आता है मुकदमे की नौबत
बता दें कि ऐसा नहीं होता है कि चेक डिसऑनर होते ही भुगतानकर्ता पर मुकदमा चल दिए जाते हैं। बता दे की चेक के बाउंस होने पर बैंक की तरफ से लेनदार को एक रसीद दिए जाते हैं। जिस चेक बाउंस होने की वजह के बारे में बताए जाते हैं। वहीं इसके बाद लेनदार को 30 दिनों के अंदर देनदार को नोटिस भेजे सकते हैं।
वहीं अगर नोटिस के 15 दिनों के अंदर देनदार की तरफ से कोई जवाब न आता है तो लेनदार कोर्ट जा सकते हैं। वही लेनदार मजिस्ट्रेट की अदालत में एक महीने के अंदर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। वहीं इसके बाद भी उसे देनदार से रकम न मिले तो वो उस पर केस कर सकते हैं। वही दोषी पाए जाने पर दो वर्ष तक की जेल या जुर्माना या फिर दोनों लगाए जा सकते हैं।