UP News: up सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस बड़े फैसले को सरकार की बड़ी पहल माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला राज्य के हजारों परिवारों पर लागू होगा। उत्तर प्रदेश सरकार के बड़े फैसले से बड़ी संख्या में राज्य के नागरिकों को बड़ा लाभ मिलेगा। उत्तर प्रदेश में रहने वाले हजारों नागरिक पिछले 78 सालों से इस फैसले की मांग कर रहे थे। भारत की आजादी के 78 साल बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है।
उत्तर प्रदेश सरकार शरणार्थियों को देगी बड़ी सौगात
उत्तर प्रदेश सरकार का नया बड़ा फैसला राज्य में रह रहे शरणार्थी परिवारों पर लागू होगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए तय किया है कि साल 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान पाकिस्तानी हिस्से से भारत में रह रहे नागरिकों को जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा।
आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के समय पाकिस्तानी हिस्से से बड़ी संख्या में हिंदू और सिख भारत आए थे। भारत आए इन नागरिकों को शरणार्थी का दर्जा दिया गया था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत आए शरणार्थियों के 10 हजार से ज्यादा परिवार उत्तर प्रदेश में बसे थे। सरकार ने उसी समय उत्तर प्रदेश में बसे परिवारों को जमीन आवंटित की थी। सभी शरणार्थी परिवार लीज पर आवंटित जमीन पर मालिकाना हक की मांग कर रहे थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने शरणार्थियों को उनकी जमीन का मालिकाना हक देने का फैसला किया है।
इस फैसले को लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मुरादाबाद के कमिश्नर अंजनेय कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है। कमेटी ने अपना काम शुरू कर दिया है। इस कमेटी की पहली रिपोर्ट का उत्तर प्रदेश सरकार के स्तर पर परीक्षण भी हो चुका है।
उत्तर प्रदेश सरकार की यह बड़ी पहल
उत्तर प्रदेश में रह रहे शरणार्थियों के परिवारों को जमीन का मालिकाना हक देने के फैसले को उत्तर प्रदेश सरकार की बड़ी पहल कहा जा रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय पाकिस्तान से आए करीब 10 हजार परिवारों को लखीमपुर खीरी, रामपुर, बिजनौर और पीलीभीत में बसाया गया था। इन्हें सरकार की ओर से जमीन भी दी गई थी। इनमें से ज्यादातर हिंदू और सिख शरणार्थी थे। कई परिवारों को संक्रमणीय भूमिधर अधिकार नहीं मिला।
यानी इन परिवारों के उत्तराधिकारी इनकी जमीन पर बैंक से फसली ऋण के अलावा कोई अन्य ऋण नहीं ले सकते। इन्हें जमीन बेचने का भी अधिकार नहीं है। इसलिए शरणार्थी लंबे समय से संक्रमणीय भूमिधर अधिकार की मांग कर रहे हैं।
इनके दावों के परीक्षण के लिए सरकार ने कुछ समय पहले मुरादाबाद के कमिश्नर, पीलीभीत के डीएम, लखीमपुर खीरी के एडीएम और शासन के उप सचिव की एक कमेटी बनाई थी। कमेटी यह देख रही है कि इन शरणार्थियों के पास किस जिले में कितनी जमीन है।
जमीन पट्टे पर है या फिर वे बिना पट्टे के ही मौके पर काबिज हैं। सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में बिजनौर के अलावा बाकी तीन जिलों की प्राथमिक रिपोर्ट सरकार को मिल गई, लेकिन इसमें कुछ खामियां पाई गई हैं। उनसे इन पर विचार करने और नई रिपोर्ट भेजने को कहा गया है।