Cheque Bounce Case : बैंकिंग सेक्टर में चेक बाउंस टर्म के बारे में आप सभी लोग तो जानते ही होंगे बता दे की चेक बाउंस एक ऐसा मामला है। जिसमें अपराधी जेल तक जा सकते हैं। वही चेक बाउंस के मामले में हाईकोर्ट ने एक बहुत ही बड़ा अपडेट जारी किए हैं। ऐसे में अगर आप भी चेक से लेनदेन करते हैं तो हाई कोर्ट का यह अपडेट आप सभी लोगों के लिए बहुत ही काम का हो सकता है। अगर आप हाई कोर्ट का यह अपडेट नहीं जान पाते हैं तो आपको भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आईए जानते हैं नीचे के लेख में पूरी जानकारी विस्तार से।
Cheque Bounce Case : पहले आप सभी लोग जान लीजिए चेक बाउंस क्या होता है
बता दें कि अक्सर लोग किसी दूसरे लोगों को पैसे देने के लिए चेक का प्रयोग करते हैं यानि कहने का मतलब है कि ऐसे में एक पार्टी दूसरी पार्टी को किसी चीज की पेमेंट करते हैं तो वह चेक में एक अमाउंट भर कर देते हैं। वही जब सामने वाला पार्टी बैंक में चेक लाते हैं। तो चेक देने वाले पार्टी के बैंक में इतना बैलेंस नहीं उपलब्ध होता है कि चेक क्लियर हो पाए एसी श्रेणी में चेक बाउंस माने जाते हैं।
Cheque Bounce Case : जानिए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चेक बाउंस के मामले में क्या बड़ा फैसला दिए
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में राजेंद्र यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार का कैसे पहुंचे इस चेक बाउंस के मामले में हाईकोर्ट ने हम दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। वही हाई कोर्ट ने अपने शब्दों में कहीं की चेक बाउंस के केसेस में ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से भेजे हुए डिमांड नोटिस पूरी तरह से मान्य है। वही हाई कोर्ट के फैसले से क्लियर होते हैं कि कोई इस गलतफहमी में ना रहे की कागज पर ही नोटिस आएंगे। और उसे नोटिस को हल्के में लेकर छोड़ देंगे।
चेक बाउंस के केसेस में ई- मेल एवं व्हाट्सएप के माध्यम से दिए गए नोटिस माने जाएंगे मान्य
आप सभी को बता दें कि इलाहाबाद उच्च अदालत में अपने शब्दों में कहीं की चेक बाउंस के केसेस में ईमेल एवं व्हाट्सएप के माध्यम से दिए हुए नोटिस को मान्य माने जाएंगे। वहीं इसमें शर्त यही होगा कि आईटी एक्ट की धारा के अनुसार सभी नियम पूरे होते हो। वहीं इससे साफ होती है कि इलेक्ट्रानिक माध्यम से भेजे गए संदेश पूरी तरह से वैलिड होंगे और अदालत ने यह नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स कानून और आईटी एक्ट के प्रावधानों के संदर्भ में बोले हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जारी किए एक टिप्पणी
आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में राजेंद्र यादव वर्सेज यूपी सरकार का मामला चल रहे थे। ऐसे में इसी मामले में कोर्ट ने ये एक टिप्पणी जारी किए। वही उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट के जज अरुण कुमार सिंह देशवाल ने मामले की सुनवाई किए थे। ऐसे में जज ने बोले कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स कानून की धारा 138 में लिखित में नोटिस देने बात तो बोले थे परंतु कैसे भेजने हैं। इसके बारे में कुछ नहीं लिखे गए हैं। वहीं इस वजह से चेक बाउंस मामले का नोटिस ई – मेल और व्हाट्सएप से भेजना सही माने हैं।
इन कानून को दिए गए केस में हवाला
आप सभी को बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केस के मामले पर पहुंचने के लिए नेगोशिएबल नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स कानूनी ही नहीं आईटी कानून के प्रावधानों को भी जांचे। वहीं आईटी कानून के अनुसार जानकारी लिखित में हो या फिर टाइप की हो दोनों ही इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजे गए जानकारी मान्य होंगे।
अदालत की ओर से इस बात की भी किए गए पुष्टि
आप सभी को बता दें की अदालत की ओर से इस बात की भी पुष्टि किए गए हैं। इसके लिए आईटी कानून के सेक्शन चार और 13 का भी जिक्र किए हैं। वहीं अदालत ने इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 65बी कभी हवाला दिए हैं। वही इस धारा के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड स्वीकरने की बात बोले गए हैं।
उच्च अदालत में यह बात भी बोले
आप सभी को बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ने नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स कानून से संबंधित केसेस को सुनने को लेकर कुछ दिशा निर्देश यूपी के मैजिस्ट्रेट्स के लिए भी जारी कर दिए हैं। वहीं इसमें से प्रमुख यह है कि अगर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स कानून के अनुसार कोई शिकायत दर्ज होते हैं तो इससे जुड़े मजिस्ट्रेट या कोर्ट को रजिस्टर्ड पोस्ट के माध्यम से भेजी शिकायत का पूरा ट्रैक रिकॉर्ड मांगने और रखने होंगे। वहीं इससे किसी प्रकार की बेईमानी की गुंजाइश नहीं रहेंगे।