Wheat Flour Price : जैसे-जैसे गेहूं का दाम बढ़ता जा रहा है उसी प्रकार आटे का भाव भी रफ्तार पकड़ रहा है। गेहूं का रेट जिस प्रकार से महंगे होते जा रहे हैं उसे प्रकार से गेहूं से बनने वाली भी खाद्य पदार्थ में भी असर देखने को मिल रहा है। इस समय गेहूं के भाव तेजी के साथ बाजार में बिक रहे हैं। आईए जानते हैं देश भर में इस समय क्या है गेहूं और गेहूं के आटे का भाव?
Wheat Flour Price : गेहूं के आटे का भाव क्या है?
आप सभी को बता दे कि पिछले कई दिनों से गेहूं के रेट उतार-चढ़ाव के साथ बिक रहे हैं। इससे आटे के भाव में भी अच्छी खासी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। गेहूं और आटे के बढ़ते कीमत के चलते हर राज्य में आम लोगों के जेब पर असर डाल रहा है।
गेहूं न्यूनतम भाव भी अब एसपी से भी ज्यादा चल रहा है। जो कि आम लोगों के बजट को भी प्रभावित कर रहा है। अभी गेहूं के दाम कम होने के चांस नहीं है माना जा रहा है कि कुछ महीने और तेजी जारी रहेगा।
गेहूं का पहुंच अधिकतम इतना रेट
बता दे कि प्रत्येक दिन गेहूं के रेट लगातार बढ़ रहे हैं। देशभर में प्रमुख मंदिरों में रेट साथ में आसमान पर चढ़ गया है। विभिन्न मंदिरों में गेहूं की कीमत में अंतर देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में गेहूं के थोक विक्रेता के हिसाब से न्यूनतम मूल 2909 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है जो की सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2275 के करीब है।
इसके अलावा महाराष्ट्र में अमरावती में गेहूं की कीमत 2811 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से दर्ज किया गया है। राजस्थान के अलवर में गेहूं के थोक दाम 2817 रुपए प्रति क्विंटल हैं। इससे साफ हो जाता है कि गेहूं की आपूर्ति और मांग के कारण अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग दम देखे जा रहे हैं। गेहूं की अधिकतम रेट भी कई जगह पर 3850 तक पार्टी क्विंटल के हिसाब से पहुंच गया है।
गेहूं से बने खाद्य पदार्थ भी हुआ महंगा
बता दे कि गेहूं की कीमत पिछले कुछ हफ्ते से लगातार बढ़ रही है। अब ऐसे में आते की कीमत में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है। केवल आता ही नहीं गेहूं से भी बना खाद्य पदार्थ महंगे होते जा रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि गेहूं के दामों में बढ़ोतरी होना। इसके कारण बिस्किट, ब्रेड और अन्य खाद्य पदार्थ के दाम में भी बढ़ोतरी होने की आशंका जताई जा रही है।
आटा का खुदरा रेट कितना हो गया।
बता दे की दिसंबर महीने में आते के खुदरा रेट ₹50 प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है। इसके अलावा थोक मूल्य कई जगह पर 45 रुपए प्रति किलोग्राम है। साल 2009 के बाद सबसे ऊंचा आटे का रेट दर्ज किया गया है। इससे आता पहले के मुकाबले काफी महंगा होता नजर आ रहा है और इसकी वजह से खाद महंगाई को नियंत्रित करने में भी सरकार प्रयास विफल नजर आ रही है। अगर यह स्थिति बन हो रहा तो इससे आम उपभोक्ताओं को रोटी और भी महंगी खानी पड़ेगी।
अगले साल 2025 में काम हो सकता है गेहूं का प्राइस
बता दे की मंदिरों में नए गेहूं की आवक अभी नहीं है। जैसे ही मंडी में नई गेहूं की आवक हो जाएगी तब गेहूं के दाम कम होने के आसार हैं। बाजार जानकारी के हिसाब से यह कहना है। हालांकि दिसंबर महीने में शुरू से ही इस बात के संकेत नजर आ रहे हैं की दिसंबर में गेहूं और उससे बने खाद्य पदार्थ की कीमत रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच सकती है।
इस बार गेहूं की होगी अधिकतम उत्पादन
बता दे कि इस बार रवि सीजन में गेहूं की बुवाई पिछले साल से करीब 9:30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ज्यादा किया गया है। जिससे कि यह उम्मीद जताया जा रहा है कि गेहूं का उत्पादन इस साल अधिक होने की संभावना है। इससे भविष्य में गेहूं के आपूर्ति बढ़ाने को संभावना है जो कीमत को स्थिर करने में मदद करेगा और आम आदमी को राहत मिलेगा।